LIFEARIA
तुम्हें खोने की हिम्मत नहीं है मुझमें, फ़िर भला तुम्हें पाने की ज़ुर्रत क्यों करूँ!
जानते हो? हर दफ़ा तुम्हें पा लेने के मेरे ख़्वाब, बस तुम्हें खो देने के डर से ही टूटे हैं! तो अब पूरी शिद्दत से चाहती हूं मैं, बरक़रार रखना अपने दिल में तुम्हारी चाहत को ,तुम्हें पाने की कोशिश के बग़ैर! जैसे अक्सर बियाबान जंगलों में ही खिला करती हैं, महकते फू