LIFEARIA
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दीजिए अपनी ज़ुबां को एक ऐसा स्वाद...जो बदल कर रख दे ज़िंदगानी!! | LIFEARIA
दीजिए अपनी ज़ुबां को एक ऐसा स्वाद...जो बदल कर रख दे ज़िंदगानी!! नमस्कार प्यारे दोस्तों, स्वागत है आप सभी का आपके अपने यूट्यूब चैनल "Lifearia" के इस मंच पर जहाँ आज हम पहली दफ़ा बनाने जा रहे हैं एक ख़ासम ख़ास रेसिपी!!! और आपको बता दें कि ये रेसिपी आप
पीर पराई by Dr. A. Bhagwat | LIFEARIA
नमस्कार प्यारे दोस्तों, माफ़ी चाहती हूं! एक लssssम्बे बेमतलब ब्रेक के लिए! तो कैसे हैं आप सभी ? उम्मीद करती हूं कि प्रभु की कृपा से सब कुशल मंगल है और आप सभी जहाँ भी हैं ख़ुश हैं!, स्वस्थ हैं!.....और हाँ मैं भी ठीक ही हूं!! क्या यहाँ आपने ग़ौर फरमाया प
रात....चाँद....और मैं Dr. A. Bhagwat | Moon & Me!
रात, चांद और मैं (Moon and Me!) कल रात सोचा कुछ लिखूं चांद पर...!! और जब दिखा चांद तो नज़रें न कागज़ पर टिकीं न कलम पर....!! बस ठहर गई आसमां पर....!! कि पूनम के चांद पर...नहीं लिख्हा जाता पूनम पर.....अमावस पर ही बेहतर होगा..... लिखन
मिट्टी के दीये by Dr. A. Bhagwat | LIFEARIA
मिट्टी के दीपक कविता (Poem) by Dr. A. Bhagwat घर भी मिट्टी के होते हैं! और सपने भी मिट्टी के उनके ! जो मिट्टी के दीए बेचने, प्लास्टिक के बाज़ार में आ जाते हैं! जैसे बारिश में कागज़ की कश्ती लिए आते हैं! लोग इधर आकर उधर से गुज़र जाते हैं! फ़िर दिन
प्यार का गठबंधन by Dr. A. Bhagwat
गठबंधन..... भले ही गांठ बांध कर शुरू किए जाते हों रिश्तें! मगर वास्तव में रिश्तों की कोई गांठ नहीं हुआ करती! जिसे खोल कर आज़ाद हुआ जा सके और चुपके से दोबारा बांध कर फिर बन्ध जाया जा सके!! क्योंकि रिश्तों में तो दरअसल गांठ की कोई गुंजाइश ही नहीं होती!
सोचने वाली बात 08 | मास्टर शैफ़ वही बनते हैं, जिन्हें हरी मिर्च और प्याज़ काटने से परहेज़ नहीं होता!
सोचने समझने वाली बात 08 प्यारे दोस्तों, सादर नमस्कार स्वागत है आप सभी का आपके अपने यू ट्यूब चैनल 'लाइफेरिया' के इस मंच पर जहां आज हम बढ़ रहे हैं एक और बेहद जरूरी और सोचने वाली बात की ओर पर इससे पहले की मैं शुरुआत करूँ मैं आप सभी का तहेदिल से शु
सोचने वाली बात 07 | क्या करें ? जब ग़लत समझ बैठे लोग हमें ! या नहीं समझे वैसे, जैसे हम हैं ! LIFEARIA
बहुत गफ़लत होती है!, बेहद परेशानी! बड़ी बैचेनी! एक तरह से उलझन में डाल देनेवाली स्थिति, जब लोग कोई ग़लत राय बना लेते हैं हमारे बारे में! कोई टैग लगा देते हैं हम पर! या फ़िर सोचने लगते हैं कुछ ऐसा हमारे बारे में जैसे हम वास्तव में हैं ही नहीं ! फ़िर चाहे वो हमा
अपनी ख़ुशी से अपना ही दिल तोड़ना पड़ा! LIFEARIA
आंखें बंद थी! पलकों पर झूल रहे थे ख़्वाब... होंठों पर मिलने की आस....मुस्कान बन कर महक रही थी! एक दूजे को याद कर फूले नहीं समां रहे थे हम.... एक लंबा सफ़र जो तय किया था ,इक दूजे के बग़ैर....अब ख़त्म होने को था ! मन्नते सच होने जा रही थी ! दुआएं क़ूबुल होने को
तुम्हें खोने की हिम्मत नहीं है मुझमें, फ़िर भला तुम्हें पाने की ज़ुर्रत क्यों करूँ!
जानते हो? हर दफ़ा तुम्हें पा लेने के मेरे ख़्वाब, बस तुम्हें खो देने के डर से ही टूटे हैं! तो अब पूरी शिद्दत से चाहती हूं मैं, बरक़रार रखना अपने दिल में तुम्हारी चाहत को ,तुम्हें पाने की कोशिश के बग़ैर! जैसे अक्सर बियाबान जंगलों में ही खिला करती हैं, महकते फू