बचपन से लेकर अब तक हमारी ज़िंदगी कई मायनों में काफ़ी बदल चुकी है. वो चाहे हमारे रहन-सहन का ढंग हो या फिर दोस्त के साथ मस्ती करने का अंदाज़.मैं हमेशा सोचती हूं कि पहले जैसे न अब हमारे पास ज़िंदगी जीने का समय है और न ही दोस्तों के साथ ज़्यादा घूमने-फिरने का.